Swati Sharma

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लेखनी कहानी -30-Dec-2022 :-फर्ज़

कविता:- फर्ज़ 

सभी के सर पर होता है
कोई न कोई कर्ज़
उसे समय पर उतारा जाए
यही होना चाहिए
हर एक का फर्ज़
फर्ज़ निभाते समय
रखना चाहिए यह ध्यान
होना चाहिए सभी का सम्मान
सम्मान सभी का हो एक समान
ज़ुबान पर होनी चाहिए इतनी लगाम
लगाम छूटने से पहले
लेनी चाहिए कस
फिर भी अगर छूटने लगे
तो कह दो बस
बस पकड़कर निकल
ना जाना कहीं के कहीं
वरना प्रगति ना हो पाएगी
और रह जाओगे वहीं के वहीं
कोई दवा ना हो जिसकी
होता नहीं ऐसा  मर्ज
मुस्कुराते हुए निभाते रहो अपना-अपना फर्ज़।

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9 Comments

सुन्दर और सीख देती हुई अभिव्यक्ति

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Swati Sharma

05-Jan-2023 11:21 PM

Thanks ma'am

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Sachin dev

31-Dec-2022 06:03 PM

Bahut khoob

Reply

Swati Sharma

31-Dec-2022 06:43 PM

Thank you Sir

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